कहने को तो हम लोकतंत्र के सच्चे नागरिक हैं पर विश्वास कितना करते हैं संस्थाओं में, पु कहने को तो हम लोकतंत्र के सच्चे नागरिक हैं पर विश्वास कितना करते हैं संस्थाओं...
ममता की ऐसी मूरत पर मैं अपना शीश नवाऊँ आशा की तितली बन जाऊं ममता की ऐसी मूरत पर मैं अपना शीश नवाऊँ आशा की तितली बन जाऊं
न्याय कौन करेगा अब जब गद्दारों ने ही है गद्दी संभाली। न्याय कौन करेगा अब जब गद्दारों ने ही है गद्दी संभाली।
कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को....... कभी कभी जब दुखी हो जाता है देखकर अहम् की लड़ाई को.......
पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती, के ही उपासक, और बनेगा कौन ? पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती, के ही उपासक, और बनेगा कौन ?
समाज के बनाए जा दकियानूसी, रिवाजों का जिम्मेदार कौन है। समाज के बनाए जा दकियानूसी, रिवाजों का जिम्मेदार कौन है।